दंगल की सीख – 6 बातें जो आमिर की दंगल फिल्म सिखाती है ।
दंगल की सीख 1 – शुरुआत जल्दी करना चाहिए।
दंगल फिल्म में आमिर खान ने महावीर सिंह फोगट का किरदार निभाया है जो कि एक पहलवान होते हैं । लेकिन अपनी आर्थिक समस्या की परेशानी के चलते उन्हें पहलवानी छोड़नी पड़ी।
फिर उन्होने अपना सपना बनाया कि वह अपने बेटे को पहलवान बनायेंगे और वह देश के लिए पहलवानी में सोने का मेडल जीतेगा। परंतु उनके घर चार बेटियों ने जन्म ले लिया। फिर एक दिन उन्हें लगा कि लड़किया भी तो पहलवान बन सकती हैं । फिर क्या था उन्होने बिना कोई देर किये, अगले ही दिन से उनकी ट्रेनिंग शुरू कर दी ।
दंगल की सीख 2- हमारे माता पिता हमारे साथ कठोरता से बरताव करते हैं तो वह इसलिए ताकि हम कुछ बन सके।
फिल्म में हमने देखा कि आमिर खान अपने बेटियों के प्रति कठोर थे। वह इसलिए ताकि उनको इंटरनेशनल लेवल का पहलवान बना सके।
ऐसे ही हमारे माता पिता जब हमारे प्रति कठोर व्यवहार दिखाते हैं तो उसका यह मतलब नहीं है कि वे हमसे प्यार नहीं करते बल्कि हम अपने जीवन में कुछ बन सके इसलिए वे हमारे प्रति कठोर रहते है।
दंगल की सीख 3 -हमेशा अपने से मजबूत से मुकाबला करना चाहिए।
जब गीता बवीता को ट्रेनिंग चल रही थी। तब उनके आस पास के गाँवों में दूसरी लड़कियां पहलवान नहीं थी । तब उन्हें मजबूत बनाने के लिए आमिर खान जो कि महावीर सिंह फोगट के किरदार में अपनी लड़कियों को लड़को से लड़ाते थे।
हमें अपने प्रोफेशन में आगे बढ़ने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने से मजबूत से मुकाबला करें।
दंगल की सीख 4 – लोगों की तो आपको सुनना ही होगा।
अगर अपने आस पास के लागों से कुछ अलग कर रहे हो तो आपको लोगों की तो सुनना ही होगा।
दंगल मूवी में हमने देखा कि जब आमिर खान जिन्होने फिल्म में महावीर सिंह फोगट का किरदार निभाया है।
उन्होंने जब अपनी बेटियों को पहलवान बनाने की ठान ली । और उन्हें ट्रेनिंग देने लगे तब उनके पूरे गाँव वाले उन्हें सनकी कहने लगे थे । लोग कहने लगे थे कि महावीर पागल हो गया है, जो लड़कियों को पहलवानी सीखा रहा है। लोगों की गालियों , बुराइयां ताने सहते सहते महावीर सिंह ने अपनी लड़कियों को पहलवान बनाया । और बाद में लोगों की वही गालियाँ तालियों और तारीफ में बदल गईं।
दंगल की सीख 5 – हर जगह तुम्हारी मद्द करने तुम्हारा बाप नहीं आयेगा।
महावीर सिंह फोगट का किरदार निभा रहे आमिर खान ने फिल्म में गीता बवीता को ट्रेनिंग देते समय कहा था। हर समय तुम्हारी मद्द करने और तुम्हें सिखाने तुम्हारा बाप नहीं आयेगा।
यह हर एक उन माता पिता को याद रखना चाहिए जो कि अपने बच्चों को मुषीवत में जरा भी नहीं आने देना चाहते। अगर हम अपने बच्चों को मुसीबतों का सामना करना नहीं सिखाते हैं और उनकी आगे रहकर मद्द करते हैं। तब ऐसा करके हम उनका ही नुकसान करते हैं। हम उन्हें कमजोर बना रहे होते हैं।
उन बच्चों को भी जो जरा जरा सी बात के लिए माता पिता की मद्द माँगने के लिए तैयार रहते हैं। उन्हें यह बात अच्छे से समझनी चाहिए कि उनके जीवन में उनकी मद्द करने हर वक्त उनके माता – पिता नहीं आ सकेंगें।
दंगल की सीख 6 – आपके लिए सबसे बढ़िया वही टेक्निक है जिस टेक्निक में आप जीतते हो और अपना बेहतर प्रदर्शन करते हो।
फिल्म में हमने यह भी देखा कि जब गीता फोगट नेशनल गोल्ड मैडल जीत गईं थी । इसके बाद इंटरनेशनल के लिए जब वह ट्रेनिंग के लिए गई । तो वहाँ उनके कोच ने उन्हें नई टेकनिक से पहलवानी सीखाई । जिसकी वजह से उन्हें काफी परेशानी हुई और वह हारने लगी थी।
इसके बाद फिर उन्होने उसी टेक्निक से पहलवानी की जो उन्होने बचपन से अपने पिता महावीर सिंह फोगट से सीखी थी। इसके बाद वह जीतने लगी और भारत के लिए पहलवानी में गोल्ड जीता ।
अपनी टेक्निक से खेलने का तरीका देखें तो हमारे देश के क्रिकेट के अब तब के सबसे सफल कप्तान महेन्द्र सिंह धौनी जब शुरूआत में भारतीय क्रिकेट टीम में आये थे तब उनकी टेक्निक, क्रिकेट देखने वालों को अटपटी लगती थी। लेकिन जब इसी टेक्निक से उन्होने बेहतर प्रदर्शन किया , तो कई दिग्गज क्रिकेटर उनकी टेक्निक अपनाने लगे। इसलिए यह बहुत ही आवश्यक है कि अगर हमारी टेक्निक अलग और अटपटी है पर उससे हमे बेहतर परिणाम मिल रहे हैं तो उसे बदलने की कोई जरूरत नहीं है।
कई बार ऐसा होता है कि हमारी टेक्निक व हमारा तरीका लोगो को थोड़ा अटपटा लगता है। लोग हमारी टेक्निक की आलोचना करते हैं और जिसके चलते हम अपनी टेक्निक को बदलने की कोशिश करते हैं और अपने प्रोफेशन में हारने लगते हैं । लेकिन अगर उस तरीके से हमे सही परिणाम मिल रहे हैं तो उसे बदलने की कोई जरूरत नहीं है।